Sunday 26 July 2020

नींद

सरकार और व्यवस्था को कोसने से कोई फायदा नहीं । इसे आपने स्वयं खड़ा किया है और पोषित भी। आपके प्रतिनिधि आपके ही प्रतिबिंब हैं। हर व्यवस्था में आपके ही अपने लोग स्थित हैं । जबतक समाज का प्रत्येक व्यक्ति समाज में अपनी भागीदारी सुनिश्चित नहीं करेगा , स्थिति में बदलाव नहीं होगा । सत्ता को अयोग्य व्यक्ति के हाथों सौंपकर यदि व्यक्ति सो जाए तो दुस्वप्न निश्चित है । अधिकार स्थाई नहीं होता अपितु समय - समय पर आपकी उपस्थिति की अनुभूति अपरिहार्य है अन्यथा आपके अधिकारों पर कब्जा हो जाना कोई आश्चर्य नहीं । बिना आपकी मर्जी के कोई आपके अधिकारों का अतिक्रमण नहीं कर सकता । बिना उठे , बिना जगे आप बस एक मृत व्यक्ति मात्र ही हैं। जागना आवश्यक है। एक सजग और सचेत समाज में ही लोकतंत्र फलीभूत हो सकता है ।

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