उम्र किया ज़ाया मिट्टी क़ो महल बनाने में
अब रोके ना रुकता पत्थर, मिट्टी से मिल जाने में
तिनका तिनका वक़्त गया अनजाने में
नींद खुली तो खुद क़ो पाया वीरने में
चला जा रहा असीम पथ पे क्या पाने क़ो
ठहरा तो फ़िर पाया खुद क़ो वीरने में (RD) ✍🏻✍🏻✍🏻
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