Sunday 9 August 2020

रिश्तों का भ्रम

आप तबतक अच्छे हैं जबतक इस्तेमाल किए जा सकते हैं। अधिकांश अपने इस्तेमाल किए जाने को ही अपनापन समझकर रिश्ते निभाते चले जाते हैं । एक बार आपने सच को समझा और सत्य कहा बस सामने वाले के पास विकल्प खत्म और साथ ही रिश्ते भी । मगर रिश्तों के साथ आपकी वेदना खत्म नहीं हो जाती । फिर शुरुआत होती है पश्चाताप उन अनमोल पलों का जिसे आपने यूं ही उन रिश्तों को सींचने में जाया किया । परंतु एक मजबूत पहलू यह भी है कि अब आपका आज आपका है और आपका आज का यह पल अब जाया नहीं होगा ।

सत्य वेदना तो देता है मगर साथ ही एक स्वाभिमानी शुकून भी देता है और आप मजबूत , और मजबूत होते चले जाते हैं और निश्चित ही आपका वो दूसरा बनावटी और ढोंगी रिश्ता कमजोर होते होते विस्मृत हो जाता है। सत्य की वेदना असत्य के आनंद से ज्यादा सुख देता है क्योंकि यही वास्तविक है बाकी भ्रम ।

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