“यादें”
भूले से
भी भुला ना
सके उन यादों
को
दीए की
रोशनी मे गुज़री
उन रातों को
नुक्कर की दुकान
वाली नानी की
उन बातों को
परी-कथाओं
मे छिपे उन
जज्बातों को
बारिश मे रिसने
वाले खप्पर की
उन हालातों को
तूफ़ानों मे भी
मिलने वाले उन
मुलाक़ातों को
मधुर मिलन
की उन सौगातों
को
भूले से
भी ना भुला
सके उन यादों
को
दीए की
रोशनी मे गुज़री
उन रातों को.
-राजू दत्ता
No comments:
Post a Comment