#घुगनी -मूढ़ी#
लिट्टी - चोखा के बाद अगर हमारे बिहार में कोई दूसरी नंबर वन जोड़ी है तो वो है घुघनी - मूढ़ी की जोड़ी और साथ में चने की दाल वाली कचड़ी और आलू चॉप रहे तो सुभान - अल्ला 😋
शाम का समय हो और मध्यम सी हल्की - हल्की बारिश की फुहार और चावल का भूंजा या फिर मूढ़ी और ऊपर से घुघनी और कढ़ाई पर खौलते तेल में तैरता कचड़ी,चॉप और फिर गरमा - गरम बैंगनी ...!😍 उसी गरम तेल को छनौटे से लेकर भूंजे में डालकर जो तड़का तैयार किया जाता उसे परवान चढ़ाता प्याज और हरी मिर्च का तीखापन और कचड़ी, चॉप और बैंगनी का संगम ....!😍
बस याद आते ही वही नायब स्वाद जिंदगी का फिर जिंदा हो उठता है ...! 🥰 छोटे शहर की बड़ी दास्तां अक्सर बड़े शहर की छोटी सी कहानी पर हावी हो ही जाती है ....😊
विशुद्ध देशी और मन को मोह लेनेवाला आईटम...! हर जेब में फिट और हमेशा सुपरहिट..! एकदम जिंदा आईटम...! प्रोटीन से लेकर विटामिन सी और तमाम मिनरल्स और सरसों तेल का हल्का फैट ! 🤩 शाम का ऐसा नाश्ता जिसका कोई जोड़ - तोड़ आजतक नहीं आया ...! पिज्जा - बर्गर, मोमो- टोमो और पास्ता -मैगी को धूल चटाता मूढ़ी - घुघनीं आज भी शानदार , जबरदस्त, जिंदाबाद से लबरेज़ आईटम नंबर १ ही है ...!😋
मिट्टी की भांड में सोंधी - सोंधी खुशबू लिए गरम चाय साथ में और फिर दिलखुश घुघनी - मूढ़ी का दिलकश आईटम और बारिश की फुहार और दोस्तों के साथ गुफ्तगू हो तो आप जन्नत में हैं...! बस आपके पास भींगे - भींगे से जज़्बात हों और चंद यार साथ हों और आप दूर कहीं छप्पर वाली दूकान पर उबलती चाय की केतली को तिरछी नजरों से देखते हुए भूंजा फांक रहे हों तो कसम से आप एक जिंदगी के बेहतरीन पलों में से एक बेहतरीन पल को जी रहे हैं ...!🥰 बाकी तो बस जज़्बातों का खेल है और गूंगे का गुड़ है ....!😇
हम तो इस जीवन रस का नायाब स्वाद लेते रहे हैं और आज भी नुक्कड़ की दूकान पर मिट्टी के चूल्हे की आंच में उबलती चाय और खौलते तेल में अपने भींगते जज़्बात की गर्म भांप को महसूस किया करते हैं ...!🥰
(राजू दत्ता✍🏻)
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