Wednesday 31 August 2022

ढोलक साबुन से मिलेनियम तक

*ढोलक साबुन से मिलेनियम तक*

कटिहार से हैं और अगर ढोलक साबुन का नाम नहीं सुना तो याद ताजा किए देता हूं 😇 जी हां , ढोलक साबुन! ऐसा साबुन जो सबकुछ धो देने की काबिलियत रखता । सोडा की खटास भरी गंध लिए ढोलक साबुन की मिठास भरी यादें अब भी कटिहार और आसपास के क्षेत्रों के लोगों में ताज़ी हैं । ग्रोवर साहब की जी सोप फैक्ट्री में ढोलक साबुन तैयार होकर पूरे जिले को नहला - धुलाकर तैयार किया करता । उन दिनों शैंपू केवल मधुबाला जैसन मुंबईया हीरोइन ही इस्तेमाल किया करती थी । आम आदमी ढोलक साबुन जैसा साबुन ही माथा में घस घस के अपना गंदा और लट्ठा वाला बाल धोकर फुरफुरा करके हीरो वाला फीलिंग करता था । कपड़ा भी ढोलक ही धो दिया करता । आम आदमी जिसका कोई भी कभी भी बजा देता , चार आने का ढोलक साबुन खरीदकर अपना कच्छा बनियान से लेकर सबकुछ धो डालता था । बाकी सब साबुन अमीर और हीरो टाइप आदमी के लिए बना था । लाइफबॉय से नहाकर आदमी एकदम से तंदुरुस्त हो जाता बिना कोनो दवा के ।

इस छोटे से जीवन में तरह तरह का साबुन देखा और लगाया लेकिन आज भी गर्मी के दिनों में खस और जाड़ा में पियर्स का कोनो जोड़ - तोड़ नहीं है । 

भैया लोगन को लक्स लगाते देखते थे । दे लक्स ...दे लक्स । ढेला जैसा लेकिन सुगंधित । किसी पर चला दीजिए तो कपार फुट जाए । माधुरी दीक्षित भी लक्स से ही नहाते - नहाते हेरोइन हो गई थी । 

मम्मी का पसंदीदा होता था - मार्गो - नीम वाला । हम लगाते तो मुंह तक तित्ता हो जाता । जब हम लोग टीन एजर हुए तो - जिसका टीवी प्रचार बढ़िया - उहे साबुन खरीदाएगा । 

लिरिल 😝 आज भी लिरिल के प्रचार का कोई बराबरी नहीं कर पाया । ला... लाला ... ला.... 😶‍🌫नींबू की खुशबू के साथ - लिरिल से नहा लीजिए तो तन से लेकर मन तक फ्रेश फ्रेश 😊 नहाते वक़्त उसका प्रचार भी याद कर लीजिए 😝 मन कुछ और भी फ्रेश । 

फिर सिंथॉल आया - घोड़ा लेकर विनोद खन्ना अंकल ऐसा दौड़े की सिंथॉल भी बाज़ार में दौड़ने लगा - लेकिन हम कभी नहीं लगाए , ई वाला साबुन बड़का लोगन का होता था । 😐 पिता जी उम्र के विनोद खन्ना नहीं पसंद आए 😐 

एक आता था - मोती साबुन । वो और भी ढेला । तराजू के बटखरा जैसा । चंदन की खुशबू पहली बार मोती में ही सुंघे । फिर दक्षिण भारत से मैसूर चंदन वाला - सरकारी साबुन । ऐसा लगता था कि नहाने के बाद अब सीधे पूजा ही करना है - चंदन का असर होता था । कभी कभार खरीद कर थोक में घर भी लाते । अलग अलग क्वालिटी । एक्सपोर्ट क्वालिटी खरीदते वक्त एनआरआई टाइप फिल होता था 😁

लाइफबॉय का नसीब देखिए 🙃 उसका जिंदगी टॉयलेट के पास ही कट गया । कटा हुआ लाइफबॉय । जब किसी के शरीर में चमड़े का कोई बीमारी होता था तो बाबू उसको सलाह देते थे कि लाइफबॉय लगाव । हम उनका मुंह देखते थे - कोई कैसे शरीर में लाइफबॉय लगा सकता है 😐 लेकिन बैक्टीरिया मारने का सबसे बेजोड़ साबुन लाइफबॉय ही होता था ।😷 

उसी टीनएज दिनों में  डिंपल आंटी गोदरेज के किसी साबुन के प्रचार में आई । कुछ ग्लोरी टाइप । ऐसा ना जुल्फ झटकी की दो चार महीना वो भी खारीदाया । कोई दोस्त महिम बोल दिया - लेडिस साबुन है । डिंपल आंटी का प्रचार मन में रह गया और साबुन दूर हो गया ।🤦🏻‍♀️ 

पार्क एवेन्यू भी दूध के स्मेल टाइप कुछ प्रोडक्ट लाया लेकिन हम नहीं लगाए । बेकार । पूरा शरीर दुधाईन महकता था ।🙄

फिर कुछ ओव डोब आया - जनानी टाइप । लगा के नहाने के बाद , कितना भी तौलिया से देह पोंछिए - लगता था अभी भी साबुन देह में लगा ही हुआ है 😶‍🌫 

फिर , भारत का सबसे महंगा साबुन - मिलेनियम । ₹ 850 प्रति केक । 12 % चंदन का तेल । लगा लीजिए तो ऐसे ही खुद को मैसूर महाराजा समझने लगिएगा । अखोर बखोर से बात करने का मन नहीं करेगा 😝 

अभी हम डेटॉल साबुन से नहाय रहते हैं और डेटोल वाला गंध से गमगमाये रहते हैं । कोरोना में डेटॉल वाला जादा काम करता है ऐसा प्रचार वाला बार बार कहता है ।🤧😷

इधर रामदेव बाबा भी जड़ी बूटी वाला साबुन बेच रहे औरो योगा वाला आदमी सब वही साबुन से नहा रहा आजकल 😊

अभी लिख रहे हैं कि जोर का डांट पड़ा है कि छुट्टियों में चैन नहीं आपको .....😖

हद हाल है ...अब जन्मकुंडली के केंद्र में शुक्र बहुत मजबूती से बैठे हैं तो मेरा क्या दोष 😐 अब यही सब पसंद आएगा - साबुन तेल पाउडर गीत ग़ज़ल इतिहास भूगोल इत्यादि इत्यादि 😝

एक मेन चीज का चर्चा छूट गया – बॉडी वाश । आजकल बोतल औरो पाउच में साबुन का लिक्विड आने लगा है । एक बार कोनो बढ़िया होटल में मंगनी में मिला सो घस घस के नहाए । आह...। बेहतरीन मर्दानगी वाली खुश्बू के साथ । लेडिस वाला अलग से लिखा था । हर जगह के लिए अलग अलग लिक्विड रखे था , अलग अलग खुशबू लिए  😇

अब तो कोनो मर्दाना वाला पार्क एवेन्यू टाइप घासिए और ओल्ड स्पाइस आफ्टर शेव । मस्त होके गॉगल्स लगाइए और बुलेट हांक दीजिए – शर्ट का ऊपर वाला दो बटन खोल 😎 बीच बीच में गोविंदा वाला दांत निकलते हुए रजनीकांत स्टाइल में लहरियाते हुए ।

🥰 चाहे कितनों साबुन लगा लीजिए , ढोलक का मुकाबला कोनो नहीं .... काहे कि कटिहार का अपना साबुन है 😎

*(राजू दत्ता✍️ रंजन ऋतुराज भैया के आशीर्वाद से )*

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