Tuesday 30 August 2022

ठेलागाड़ी

#ठेलागाड़ी#

९० के दशक तक जन्मे ऐसे कौन लोग होंगे जो लकड़ी की इस मर्सिडीज को नहीं जानते और इसका इस्तेमाल जिसने न किया हो 🥰 तीन पहिए वाले लकड़ी के इस ठेलागाड़ी ने हम सबको खड़े होकर चलना सिखाया है 🚶‍♂️घरवाले हमें इसके सहारे खड़े कर लगभग दौड़ा ही दिया करते और गिरते संभलते हम धीरे धीरे पक्के हो जाया करते 🥴 हर मेले और हर हाट में लकड़ी की यह ठेलागड़ी मिलती ही मिलती ☺️ बिना ब्रेक की इस गाड़ी ने हमें तेज चलते और दौड़ते हुए बिना ब्रेक के भी यह बखूबी सिखा दिया कि संभलना कैसे है और रुकना कब और कैसे है 😇 उठते - गिरते और संभलते और फिर दौड़ लगाते और साथ देती यह ठेलागाड़ी....🕺🏻इसी की सवारी करते हम कदमों को सही ताल देना सीख पाए और संतुलन का तरीका भी जान पाए 🕴️इस तीन पहिए की गाड़ी ने अपनी क्षमता से कहीं बढ़कर हमें सहारा दिया है 🧑‍🦯 

समय बदला और अचानक से यह गाड़ी गायब हो गईं और नए - नए रिक्शे और वॉकर आते गए और बच्चे डाइपर में वॉकर में पैर फंसाए चलना सीखने लगे । वॉकर में कोई रिस्क नहीं । बस दोनों तरफ टांगें फंसा दो और बच्चा खड़े - खड़े लुढ़कता जाता है और ऐसा करते करते बिना घुटना छिलाए चलना सीख जाता है । अब बिना घाव हुए ही  बच्चे चलना और दौड़ना सीख जा रहे हैं । संतुलन बनाए रखने की पूरी जिम्मेदारी मॉम - डैड का ही है । पहले की तरह खुद ठोकर खाते हुए संभलने का रिस्क नहीं रहा 😇 बिना ब्रेक के कब कैसे ब्रेक लगाना है और कैसे संतुलन बनाना है यह अब उतना अहम नहीं रहा ....😌 अपने समय में मां - पिताजी को ख़बर नहीं हुआ करती कि किस घुटने में किधर चोट के निशान हैं और हम कितनी बार गिरे । आज मॉम - डैड को दिन - रात की फिकर रहती है कि बेबी गिर न जाए । गिरने और संभालने की परिभाषा शायद बदलती सी जा रही है ...! नए खिलौने ने पुराने को बदलकर सबकुछ बदल दिया है और बदलाव जारी है ....😇 

चाहे जो भी हो अपनी पुरानी मर्सिडीज का कोई जोड़ - तोड़ नहीं ....🥰 तीन पहियों के साथ हमारे दोनों पैरों को दिशा देता और गिरकर संभलना सिखाता अपना तिपहिया सबपर भारी है...!

(राजू दत्ता✍🏻)

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