आप महज एक किरदार हैं । एक ऐसे किरदार जिनको अपना अभिनय तक पता नहीं । बस रंगमंच पर यूं ही उतार दिया गया है । पटकथा पहले ही लिखी का चुकी है । कौन मेहमान कलाकार है , कौन मुख्य यह बस उस निर्देशक को पता है। आप अपने किरदार में इस कदर खो जाते हैं कि आपको कुछ पता ही नहीं चलता कि आप महज एक किरदार हैं । इस रंगमंच का निर्देशन ही इतना उम्दा है कि आप बस खो जाते हैं। चंद किरदार ही होश में होते हैं और उन्हें ज्ञात होता है कि वे महज एक किरदार ही हैं । जिंदगी के सारे ताने - बाने बस यूं ही रचते चले जाते हैं और पटकथा यूं ही रचती चली जाती है ।
No comments:
Post a Comment