KatiharDiary

Wednesday, 5 September 2018

शिक्षक

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उन दिनों शिक्षक दिवस पर 20 पैसे की टिकट स्कूल में लेना होता था . हरे रंग के स्टाम्प साइज़ पर काले रंग क़ा राधाकृष्णन जी की पोट्रेट बनी होती ...
Sunday, 2 September 2018

वो मेला

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*मेले की उस जगह पे खड़े नजरें उन दुकानों क़ो ढूंढ रही हैं जहां सजा करती थी मिट्टी की वो मूरतें ,  वो गर्दन हिलाता दाढ़ी वाला बुढ्ढा , शिवलिं...
Sunday, 26 August 2018

मिट्टी

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उम्र किया ज़ाया मिट्टी क़ो महल  बनाने में अब रोके ना रुकता पत्थर,  मिट्टी से  मिल  जाने  में तिनका तिनका वक़्त गया अनजाने में नींद खुली तो...

नया दौर

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स्कूलों का वो शोर अब कुछ शांत सा है तन्हाई में भी अब चित्त अब अशांत सा है । सुबह की वो लालिमा  अब धूमिल सी है कलरवों का वो शोर अब मध्यम...

बहाव

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सिमट रही है ये जिंदगी चुपके से ... ढल रही है शाम -ए -ज़िँदगी आहिस्ते से .... जुदा होते वो रहनुमाँ अपनों से ... खुदा होते वो महफिल-ए -यार ...

ज़ायका जलेबी का

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वो जलेबियों की महक ,  रफ़ी के आजादी के गाने , वो 15 ऑगस्ट की तड़के की सुबह और सुबह के इंतजार में बीती शाम .......आज़ादी का मतलब पता नहीं था म...

बरसात

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आज़ फ़िर बरसात आयी है . आयी है मग़र चुपके से ना कोई संदेशा ,  ना कोई ख़बर . पहले भी तो आती थी मग़र अंदेशा होता था . वो टप टपाहट की धुन ...
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राजू दत्ता
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