Sunday, 26 August 2018

मैट्रिक का पाठा

मैट्रिक का पाठा -

नम्मा का परीक्षा ख़त्म हो गया . मैथ में तो नम्बर ठीक ठाक आ जायेगा . सँस्कृत में डर है . समाज़ और विज्ञान में पास हो जायेँगे . हिँदी का पढ़ाया हुआ सब फँस गया है . सँस्कृत वाला सरजी के घर पैरवी को गये तो कुटिया गये . मने मन सवा टका का प्रसाद काली मैया को गछ लिये .  बाबा पूछा तो बता दिये पास हो जायेँगे . मा को चिँता थी कि कभी पढ़ते नहीँ देखा तो परीछा कैसे ठीक गया होगा . बहिन सब लोग को पता था कि पक्का फेल होँगे . मा ने काली मा को पाठा गछ लिया था . एक दिन सोनूआ भोरके भोरके आया और सबको चिल्ला चिल्ला के बताया कि सब फेल है . पप्पा का पारा गरम हुआ और बसीये मुँह पीठ फोड़ दिये . हम भी बहुत रोये . एक घँटा बाद पता चला कि हम पास थे . सँस्कृत में ग्रेस मार्क मिला था . सोनूआ फेल था . अबकी हमरी बारी थी . बहुत नखरा किये थे हम . स्कूल का  बुढ़वा हेडमास्टर उन सबको बुलाया जो जो नम्मा पास हुआ था . हम दसवाँ में चल गये थे . सुनील भैय्या से मिले जो तीन बार मैट्रिक फेल किये थे . पता करने गये की कैसे मैट्रिक का तैयारी करे . सुनील भैया पहले तो बहुत भाव खाये फ़िर हमसे शरीर पे चढ़वा कर जतवाया. बोला एक बार में मैट्रिक तुमसे ना होगा . गैस पेपर ले लो और पूरा रट्टा मारना होगा . लास्ट में एटॉम बोम्ब ले लेना .पहला बार ट्राइ मार लेना . एक्सपीरियेन्स हो जायेगा तब दुसरका बार कुछ होगा . मैट्रिक पास करना कौनो खेल नहीँ ,  पीठ का हड्डी टेढ़ा करना होता है .  यह सब सुनकर मन हदिया गया . रात को पप्पा को बोला कि गैस पेपर भारती भवन का ला देने . पप्पा बोला कि सुनीलवा के पास पुरनका गैस पेपर है उसको बोल देँगे तुमको पढ़ने के लिये दे देगा . स्कूल का मंडल मास्टरजी क्लास में पैर दबवाते और घर पर टूसन पढ़ाते .सो हमऊं टूसन पढ़ने का जिद्द मचाये. इतना तो कमाई था नहीँ सो मैथ का कुँजीका ख़रीद लिये और रट्टा लगाने लगे . उधर सुनील भैया का फटलका गैस पेपर पर नयका ज़िल्द चढ़ा कर तैयारी चालू . मुहल्ले का सब मैट्रिक फ़ेल भैया लोग बताते रहे कि एक बार मैट्रिक पास तब लाइफ सेट . यादव मास्टर का बेटवा को कभी पढ़ते नहीँ देखा . उसके पास सब नैका कितबवा भारती भवन औरो  स्टूडेंट फ्रेंड्स  सब था . फर्स्ट करता था . उ कहता था कि इस बार उसका मौसा कोस्चन सेट करेगा . मग़र पैसा देना होगा . हमहूँ ठान लिये कि रटिया के पास कर लेंगे . टेस्ट परीछा हुआ और सब पास किया . मैट्रिक का पिशाच आगे खड़ा था . तीन महीना का टाइम था सो जोर शोर से भिड़ गये . पिछला पाँच साल का कोश्चन बना लिये .रट्टा मारने से कुछो तो धीरे धीरे समझ आ रहा था . इस बार सरसती मा का पूजा में उपास रखा और मने मन गच्छा कि हर साल उपास करेँगे बस एक बार मैट्रिक पास हो जाये . उधर घर में फ़िर पाठा गच्छ लिया . इस मैट्रिक ने एक पाठा पहले ही पचा रखा था और अब एक औरो . परीछा में एक्के सप्ता रह गया और इधर एक बात पता चला कि यादव मास्टर का बेटवा का मौसा इस बार कोश्चन सेट नहीँ किया . मन हल्का हुआ कि अब उका भी पढ़ना होगा. परीछा से एक दिन पहले दू लोग को पानी चढ़ा उनमे एक मास्टर का बेटवा भी था . भोरे काली मैया का मंदिर जाकर परीछा देने गये . परीछा खतम हुआ और लगा कि पास कर लेंगे . सुनील भैया बोला कि परीछा तो सबका ठीक जाता है रीजल्ते खराब होता है . बिना पैरवी के पास कोई नहीँ होता . हमरे पास पैरवी का पैसा नहीँ था सो भगवन भरोसे रह गये . रिज़ल्ट आने का खबर पेपर में आने वाला था सो रोज रोज भोरके टीसन पहुँच कर दानापुर कैपिटल और नॉर्थ एस्ट का बात जोहते रहते जिसमे पेपर आता . तंगिया कर एक दिन छोड़ दिये और उसी दिन रिज़ल्ट आया और मन्नत कुबूल हुई . मैट्रिक पास हुए और फर्स्ट डिवीजन किये . सुनील भैया का लक्की गैस पेपर काम आया . एक पाठा और शहीद हुआ .(RD) ✍🏻✍🏻✍🏻

No comments:

Post a Comment