Tuesday, 22 July 2014

मूल्य


 
मूल्य
 
नारी-शक्ति की महिमा का पाठ पूरे संसार को पढ़ाने वाला भारतवर्ष आज स्वंय से आँखें चुरता नज़र रहा है. शक्ति-पीठों की पूजा-अर्चना करनेवाला एक उन्नत समाज आज नारी-जाति के मान-मर्दन से कलंकित होता जा रहा है. विकास की पराकाष्ठा को चूमने का दावा करनेवाला समाज स्वंय से द्वन्द करता दिख रहा है. भौतिक विकास की दौड़ मे हमारा सामाजिक विकास पिछर सा गया है. सामाजिक मूल्यों का पाठ पढ़ानेवाला पाठ्यकर्म अब केवल भौतिक मूल्यों का सबक सिखाने की ओर अग्रसर है. भौतिकता की दौड़ मे मानव भाव सिमटा जा रहा है. परिवार का दायित्य अब केवालमात्र भौतिक सुविधाएँ प्रदान करना ही रह गया है. मानव-मूल्य, संस्कार आदि का पाठ तो परिवार का दायित्य रहा है और ही हमारे शिक्षण-संस्थान का. फिर यह समाज क्या अपेक्षा रख सकता है ? जो बीज मे ही नहीं है, वो वृक्ष और फिर फल में कैसे हो सकता है ? नारी-जाति का अपमान विध्वंश होते समाज का स्पष्ट संकेत है. नारी-शक्ति का मान-मर्दन विरूपित और कलुषित समाज को काल के गर्त मे ले जाती है. इतिहास साक्षी है.

-आर.के.दत्ता

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