सुकून
अंधेरों में भी
उम्मीदों का चिराग
जलाकर तो देखो
रोशन होगा
घर तेरा भी,
दीया किसी का
जलाकर तो देखो
सवरेंगी जिंदगी तुम्हारी
भी, घर ग़रीबों
का सजाकर तो
देखो
होगी निजात
ठोकरों से तुम्हारी
भी, सहारा किसी
को देकर तो
देखो
गमों का
दौर भी गुजर
जाएगा, आँसू किसी
का पोछ्कर तो
देखो
टूट जाएगा
वहम ग़रीबी का
भी तेरा, किसी
भूखे को खिलाकर
तो देखो
मिलेगा सुकून दिल
को तुम्हारे भी,
दर्द किसी का
मिटाकर तो देखो
मेल तेरा
भी हो जाएगा,
किसी को मिलकर
तो देखो
मंज़िलें मिल जाएँगी
तुम्हें भी, रास्ता
किसी को बताकर
तो देखो
सजेगी सेज तुम्हारी
भी, डोली किसी
की सजाकर तो
देखो
लगेंगे पराए भी
अपने, किसी को
गले लगाकर तो
देखो
सजेगी मुस्कान चेहरे
पे तुम्हारे भी,
किसी को हँसाकर
तो देखो
आएगा लौट
बचपन तेरा भी,
किसी बच्चे को
बहलकर तो देखो
होगा अहसास
अमीरी का भी,
बाँटकर बच्चों मे खिलोने
तो देखो
आएगी नींद
गहरी तुम्हें भी,
सोकर गोद मे
माँ के तो
देखो
पाएगा सुकून तू
भी, छाँव मे आँचल
की आ के
तो देखो
-आर.के.दत्ता
No comments:
Post a Comment